मेरे हर अर्थ हैं तुमसे
वो न भी हो किताबों में
ख्यालों में निगाहों में
मेरे हर और पसरा है
ख़ामोशी बनके यादों में
वो न भी चल सके संग में
राहों में मकमों में
मेरे हर साथ रहता है
उदासी बनके ख्यालों में
वो न भी पूर्ण हो संग में
मन में या उमंगों में
मेरे हर शब्द रहता है
इशारा एक बातों में
वो न भी हो जीवन रण में
संघर्षों में या मोक्ष में
मेरे जीवन का हिस्सा है
चलती एक सांसों में
तू जो न हो तो मैं कब हूँ
मेरा हर कर्म है तुझसे
मैं जो कह दूँ या जो लिख दूँ
मेरे हर अर्थ हैं तुमसे
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