यादों के दीपदान
वो यादों के दीपदान
हर बार उजाला करते हैं
मन के अंदर है जो अँधेरा
उसे जला से जाते हैं
वो बातों के दौर सुहाने
हर बार संवारा करते हैं
सांसो के अंदर मरते मन को
आस थमा से जाते हैं
वो ख्वाबों के अंतर्ध्यान
हर बार हौंसला देते हैं
जिद जो बची रही है मन में
द्वार खोल सी जाती है
सालों की वो खोज समर्पण
चमक रौशनी देते हैं
अदृश्य हुई जो मंजिल मन की
उससे दिखा से जाते हैं।
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