जीवन ये अभिशप्त

 मैं माटी में उपज न पाया 

खाक भरी तक़दीर लिए 

एक तूने है हसना सिखाया 

बचपन झूला झूल गए 

अब दो छोर खड़ी आशाएं 

जीवन जीना भूल गए 

कुछ तेरे दायित्व बड़े हैं 

कुछ जीवन ये अभिशप्त प्रिये !!


मैं ऊँचे शिखरों चढ़ न पाया 

राख़ हुई उम्मीद लिए 

एक तूने है बढ़ना सिखाया 

संग तेरे हसना सिख गए 

फिर तू थमता राह पुरानी

जीवन जाने किस ओर बढ़ें 

कुछ मुझसे लाख बड़े हैं रिश्ते 

कुछ जीवन ये अभिशप्त प्रिये !!

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