जाने कौन

 खुद ही खुद को सब करना है 

कैसे कह दूँ कि थक गया  

हौंसला बरसों का मुझमें

जाने कौन भरोसा है 


जीवन है जीवन जीना है 

कैसे कह दूँ की हार गया 

संघर्ष है बरसों को मुझमें

जाने कौन सहारा है 


राहें हैं राहों चलना है 

कैसे कह दूँ की भूल गया 

मंजिल जो बरसों की मुझमें 

जाने कौन निभाया है 


आस रही है आस लगी है 

कैसे कह दूँ की ख़्याब नहीं 

पीड़ रही जो मन में मुझमें 

जाने कौन बढ़ाया है 


यूँ कब कोई साथ रहा है 

कब कोई जो साथ चला है 

जाने कोने मन में मुझमें 

क्यों तेरा स्नेह रहा है 

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