अधराही
मैं झड़े हुए पत्तों सा बिखरा
आकर ढेर सजा जाना
बाँध पोटली काम आ सकूँ
मौसम सर्द जला जाना
मैं सूखे पेड़ों ठूँठ खड़ा सा
मधुमालती सा ढक जाना
सजा के गुच्छा काम आ सकूँ
या आस चिता में जला जाना
मैं हिमखंड एक पिघलता सा
नीर पोखरा जमा जाना
सींचीं मिट्टी काम आ सकूँ
या प्यास चिड़िया बुझा जाना
मैं अधराही अधूरे रास्तों का
हो सके तो संग मिला जाना
सुनसान सफर में काम आ सकूँ
या मरता सा अहसास रहूँ
आ गले लगा ले "मोटे" मुझको
थक हार सोना है मुझको
कर दूँ बंद आँखे अब फिर
या जीवन जी लूँ नया कोई
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