विश्वाशों का सफर

 उम्मीदों के शिखर पर आशाएं हैं 

कोशिशों के हाथ कम तो नहीं 

आएगी छिटककर वो रौशनी कभी 

मनों की तार बाढ़ में दीवारें तो नहीं 


अनवरत चला है सफर पगडंडियों पर 

मंजिलों पर पैर कपकपायें तो नहीं 

होगा मिलन आशाओं का कभी 

प्रयासों पर लगे बादल छटेंगें तो कभी 


अवरोध देर से ही सही पार तो हुए हैं 

थका भी हूँ सहमा भी हूँ पर हारा नहीं 

कभी आएगा तु घर द्वार मेरे 

विश्वाशों का सफर हर बार कहता है यही 

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