मिलकर तुझसे
मिल जाना जीवन राहों में
तुझ बिन कोई आस नहीं है
चला पार हूँ सागर करने
नांव उतारे चाप चलाते
मैं केवट एक राह निहारे
कब आवोगे पालनहारे
चला बढ़ा हूँ राह अजनबी
मंजिल बिन एक साथ तुम्हारे
सूत्र मनों के बांधें हैं जो
कुछ हैं सूत्र पहनने बाकि
रिश्तों में रंग कौन तलाशे
तेरे रंग में भीग छपकते
मिल जाना जीवन राहों में
तुझ बिन कोई जीवन कैसा
कदम कहाँ अब मुड़ पायेंगें
मिलना खोना संगम तेरे
तु सागर मत्था फिर दोहराता
नदी हिमालय बढ़ आयी है
पाना जीवन सत्य रहेगा
मिलकर तुझसे खो जाना है
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