रंग सिन्दूरी
मैंने संग लिखा था खुशियों का
वो रंग दे गया सिन्दूरी
जब हुआ आलिंगन सांसो का
एक रिश्ते की फिर नीव गढ़ी
मैं चाँद उजाला भर लाया
वो जगमग जीवन करा गया
जब हुआ समर्पण तन मन का
इस सफर की उम्मीद बड़ी
मैं विश्वासों से भरा रहा
वो ओढ़ें लाल चुनर को था
जब हुआ मिलन आशाओं का
इस जीवन को परिभाषा मिली
मैंने सपने देखे कठिन बड़े
वो सपने की ताबीर बना
उसने रंग रचा था संदूरी
मैंने रंग भरा है सिन्दूरी
Comments
Post a Comment