मंजिल मिल जाती है

 जो राहें सुकूं तक जाएं
अक्सर लम्बी होती हैं 
इंतजार जब लम्बा हो 
मंजिल मिल ही जाती है 

अन्वेषण अनुसंधानों की 
समय सारिणी लम्बी है 
हों निरंतरता विश्वासों की 
मंजिल मिल ही जाती है

बट बृक्षों की ठंडी छाँव
बरसों का प्रयास है 
हो समर्पण रिश्तों में 
मंजिल मिल ही जाती है

कटते जलते जंगल की 
परिस्थितिकी बनती है 
समय मिले एक सोच को तो 
मंजिल मिल ही जाती है


Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

कल्पना की वास्तविकता