साथ

 तु जो साथ देता हर मोड़ पर 
क्या था मुझमें पता नहीं 
तूने दाम मेरा बढ़ा दिया 
मैं सिफर ही था सदा यही
 
जो तूने जोड़ा है अपनों में 
क्या मेरा बजूद पता नहीं 
तूने हक़ मेरा दिला दिया 
मैं खो गया था सदा यही
 
जो लिखी हैं तुमने ये इबारतें
क्या मेरा नसीब पता नहीं 
तेरे पास थे मेरे लाख से 
मुझे तुझसा कोई मिला नहीं

जो तुमने सजा दी है मांग में 
क्या मेरा ये रंग पता नहीं 
तूने सांसों को बढ़ा दिया 
मैं छोड़ चूका था देह पहले कहीं  

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