मनन
वो समय भी क्या जो तु न हो
तुझे मन बिठा के काम हों
तु प्रेरणा वजूद की
मनन ये शाम रात हो
तुझे मन बिठा के काम हों
तु प्रेरणा वजूद की
मनन ये शाम रात हो
कुछ लिख दिया कुछ कह दिया
शरारतों के पार भी
जो कहा नहीं जो लिखा नहीं
मनन ये शाम रात हो
कभी हंस लिया कभी सिसकियाँ
अहसास साथ साथ है
उदास पल जो कटा नहीं
मनन ये शाम रात हो
कुछ बढ़ गए कुछ चल दिए
सफर में संग संग से
रह जो कटी नहीं
मनन ये शाम रात हो
वो जीवन भी क्या जो तु न हो
गुजर गए कुछ साल हों
तु निशानियां सकून की
मनन ये शाम रात हो
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