अंतिम पाने का
चाह दबाकर बीच मनों के
लम्बी राह तकूँगा मैं
नंदी सा इंतजार करूंगा
एक तेरे आदेश का
लम्बी राह तकूँगा मैं
नंदी सा इंतजार करूंगा
एक तेरे आदेश का
आशा के कोलाहल मन में
मर्यादित मौन रहूँगा मैं
डुबकी बारम्बार करूंगा
मन तन भीग जाने का
सूने से इस परिवेश में
रचता शब्द रहूँगा मैं
जीते जी संघर्ष करूंगा
तुझको अंतिम पाने का
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