बदमाशियां ओढ़े हुए
मैं जी रहा बचपन हूँ
परिपक्वता तोड़े हुए
खुशियों को साथ लाया
बदमाशियां ओढ़े हुए
परिपक्वता तोड़े हुए
खुशियों को साथ लाया
बदमाशियां ओढ़े हुए
एक रंग भर लाया हूँ
उन यादों को समेटकर
जीवन को फिर जीता हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
जीवन को फिर जीता हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
मैं जी रहा एक आशा
अभिलाषाएं बढाकर
सपनों को फिर सजता हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
एक लक्ष्य को साधा है
उम्मीदों के जहान पर
बढ़ता जा रहा हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
बना रहा रेखाएं
अभाग्य के हाथों पर
संवारता जा रहा हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
सच हो जाये सपने
एक दूजे मैं समाकर
मैं तुझमे समां रहा हूँ
बदमाशियां ओढ़े हुए
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