समाया तु है

कच्चे मकां बने तो हैं  
कुछ सुदृढ़ नीवों पर 
तेरी यादों की बूँदें बारिश
मेरा इंतहां लेती हैं 

बरसों के सजाये सपने 
आसान नहीं है हक़ीक़त 
तेरी यादों की शामें खालिस 
मुझे तन्हा कर जाती हैं 

कागज़ है कलम, दावतें 
सब लिखना आसान नहीं है 
तेरी यादों की छुपी शहनाई 
मुझे आगोश समां जाती हैं 

चाहत है राह, मुसाफिर 
मिलना तेरी हाँ में बसा हैं 
तेरी बेबजहों की रुस्वाई
मुझे हरा सदा जाती हैं 

तु मुझमे हैं कहीं मेरा 
तेरा ही अब अंश हैं मुझमें
मिले, मिलें न अलग है
रग रग में समाया तु है 

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