तु मेरा सामर्थ
जब संग तेरे मैं साथ सदा
मेरे साथ तेरा विश्वास है
जीवन जीना संग संग
फिर क्यों ये डर लगता है
मेरे साथ तेरा विश्वास है
जीवन जीना संग संग
फिर क्यों ये डर लगता है
मुनासिब होता है जो अक्सर
मन बीच जुड़े वो तार हैं
सोच सफर एक साथ चला है
फिर क्यों ये डर लगता है
आत्म समर्पण मैं कर बैठा
सम्पूर्ण समर्पण तेरा है
साथ सुलह हर दिन गुजरा है
फिर क्यों ये डर लगता है
सर्वस्व जीया तु दुनिया को
लुटता सा मेरा संसार है
जीते खुद को कुछ पल सा
फिर क्यों ये डर लगता है
दो धारा मिल संगम कर लें
एक राह चलें पहचान बनें
तु मेरा सामर्थ बने और
मैं तेरा अधिकार बनूँ
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