न जाने
मैं रचता एक संसार
न जाने क्या होगा
इस समर्पण का इतिहास
न जाने क्या होगा
न जाने क्या होगा
इस समर्पण का इतिहास
न जाने क्या होगा
जब होता है आभास
कहीं है तु हृदय के पास
मेरे एकाकी चिंतन का
न जाने क्या होगा
मेरा सिमटता एक संसार
न जाने क्या होगा
ये काल खंड अहसास
न जाने क्या होगा
मेरा तुझपर है विश्वास
तु ही तो इस जीवन का सार
मेरे सिमित सोच विचार
न जाने क्या होगा
मेरा होता है मन बेगार
न जाने क्या होगा
इस जीवन का अभिसार
न जाने क्या होगा
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