बूँदें
बादलों का झुण्ड़ एक सन्देश लायेगा
बरसात न जाने क्या आस जगायेगी
सूनो! जरा छतरियाँ हटा के मिलना उनसे
वो जो बूँदें हैं न मेरा अहसास दिलायेंगी
हवाऐं चुपचाप कुछ कह जायेंगी
छज्जे में बैठी मल्हार छू जायेगी
सूनो ! गाड़ियों के शोर का सुनना एकटक
कोई शब्दभेदी आवाज मेरी याद दिलायेगी
रात के आगोश में थाम लेना बाहें आज
चढती सी सांसे सब बयां कर जायेगी
सूनो! आहिस्ता से व्यक्त करना उत्ताप
कोई दशा कशक भरी मेरा मनन करायेगी
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