रूह की गाँठ
कुछ अनजान रिश्तों में
रूह की गाँठ होती है
वही फेरे चुपचाप होते हैं
वहीँ सिन्दूर रचती है
रूह की गाँठ होती है
वही फेरे चुपचाप होते हैं
वहीँ सिन्दूर रचती है
कुछ फैले से सामान में
चीजें अनमोल होती हैं
वहीं मन चुपचाप मिलते हैं
वहीं प्रणय की रात होती है
कुछ अनकही सी बातों में
समझ गहरी सी होती है
वहीं सूनापन सा रहता है
वहीं तेरी कमी सी रहती है
कुछ अपठित शिलालेखों में
दुनिया दबी सी होती है
वहीँ एक कारीगर होता है
वहीँ एक सोच जगती है
कुछ सुनसान राहों में
मंजिल अज्ञात होती है
वहीं अपनापन सा होता है
वहीं एक शुरआत होती है
चलाचल सफर में राही
मुझे दुनियां बसानी है
मैं जीवन भर तकूँ जिसको
वहीं मंजिल बनानी है
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