अपनेपन का पूरक
अनदेखी की पीड़ा का एक उदाहरण हूँ
हर पल पर जो तुला गया
उस स्नेह का मापक हूँ
छंदों गीतों को अपठित कविता
अधूरे रिश्तों की परिभाषा हूँ
तुझमें समता जीवन तेरी सांसों पर जिन्दा हूँ
हर पल पर जो तुला गया
उस स्नेह का मापक हूँ
छंदों गीतों को अपठित कविता
अधूरे रिश्तों की परिभाषा हूँ
तुझमें समता जीवन तेरी सांसों पर जिन्दा हूँ
बहती सी एक दरिया का ठौर ठिकाना हूँ
हर पल पर जो भुला गया
उस अहसास का आशय हूँ
रंगों चित्रों की अनदेख पहाड़ी
अधूरे रास्तों की मंजिल हूँ
तुझमें समता जीवन तेरी सांसों पर जिन्दा हूँ
खोटी हुई एक भटकी सी मृगतृष्णा हूँ
हर पल जो तका गया
उस सोच सा सिमित हूँ
शब्दों सोचों की बंधी भावना
अधूरे अपनेपन का पूरक हूँ
तुझमें समता जीवन तेरी सांसों पर जिन्दा हूँ
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