ख़ामोशी से
अहसासों की एक किताब है
तेरे मन में दबी हुई
मैं जब पढ़ता ख़ामोशी से
निशब्द हुआ सा जाता हूँ
तेरे मन में दबी हुई
मैं जब पढ़ता ख़ामोशी से
निशब्द हुआ सा जाता हूँ
रोक रही हैं सांसे
मन तुझ ही जाता है
खुशबू घोल मिली तन में
बादळ सा इतराता हूँ
जादू की एक बानी है
तेरे संग में बही हुई
आलिंगन ख़ामोशी से
बेसुध हुआ सा जाता हूँ
खींच रही हैं बाहें
आस तुझी तक जाती है
नदिया समी मिली तन में
कोपल सा खिल जाता हूँ
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