वो तु ही है
वो तू ही है जो दर्द है अपनापन है
कमी है मन का शुकूं भी है
अँधेरे का रोशन दीया
ढलती शाम का सहारा है
उम्मीदों के आसमान पर
चमकता सा सितारा है
और एक बात कहूँ
तू है सर का दर्द मेरा
कमी है मन का शुकूं भी है
अँधेरे का रोशन दीया
ढलती शाम का सहारा है
उम्मीदों के आसमान पर
चमकता सा सितारा है
और एक बात कहूँ
तू है सर का दर्द मेरा
तू ही है जो किताबों में है
आखरों में है शब्दों में है
पहाड़ों से समुन्दर में है
भावनाओं में कल्पनाओं में है
अधूरे से कुछ सपनों में है
साँस लेते हुए रिश्तों में है
बनते मकां और
उजड़ते विश्वाश में है
और एक बात कहूँ
तू भूत सी जगती रातों में है
वो तू है जिससे नाराजगी सी है
वो तू ही है जो अपनेपन में है
मनाना है तुझसे रूठना है तुझसे
आस में तू विश्वास में तु
चलती हुई सी सांसों में तु
बसती सी बस्ती है
उजड़ती ही हस्ती है
और एक बात कहूँ
तु जिन्न सी मेरी सांसों में है
वो तु ही है जो हमसफ़र है
रुलाता है हसाता है
पहाड़ों का इंद्रधनुष
और रेगिस्ता सी मृगतृष्णा है
दुनिया में सबसे खास
मन का अभिमान है तु
लड़ूँ तो चैन नहीं न मिलूं तो शुकूं नहीं
नव भी तु नाविक भी तु
और एक बात कहूँ
मेरे डुबोने का पूरा सामान भी तु
वो तु है जी साथ रहता है
जगाता है सुलाता है
रातों का सन्नाटा
और दिन का कोलाहल है
अकेले का चिंतन भी तु
और भीड़ सी मनोदशा भी तु
साथ रहूँ तो समय नहीं दूर रहूँ तो कमी तेरी
इंतजार भी तु ऐतबार भी तु
और एक बात कहूँ
मेरे डर का अकेला चेहरा भी तु
वो तु ही है जो शुकूं की छाँव है
आम की बौर है
कोमल लपलपाती टोकरी की बेल है
ठन्डे से हाथों में गरम चाय की प्याली है
माथे की बिंदी और भरी सी मांग है तु
देर होती सी शाम और कानों की बाली है तु
ताकि सी नज़रों में स्नेह की अवतारी है तु
और एक बात कहूँ
मेरे अँधेरे साम्राज्य की गांधारी है तु
वो तु ही है जिसे कलम लिखती है
कविता है कहानी है
चुपके से संभाली के डायरी है
हाथों में थामे वो पतली अंगुली है
हथेली की पलटले स्पर्श का आभास है तु
खाली सड़क पर गले लगाती शाम है तु
खाना सामने रखती एक भूख है तु
चन्दन है अभिनन्दन है
हर तनाव का शुकूं है तु
और एक बात कहूँ
मेरे मन का सबसे बड़ा डर है तु
वो तु ही है फूलों के हर रंग में
खुशबू है कोमलता है
खेतों की मेढ़ पर उकेरी पगडण्डी है
क्यारिओं की कतार में उगती तुलसी है
पूजन नैवेद्य की सामग्री है तु
मंदिर में उगाई हरियाली है तु
याद होते श्लोको का माहात्म्य है तु
प्रसाद है अखंड ज्योति है
कर कथा का चरणामृत है तु
और एक बात कहूँ
मेरे औगड़ मन पर रचती रख है तु
वो तु ही है जो सुबह में है शाम में है
तिमिर से अँधेरी रातों में है
अलसाये दिन का आनंद है तु
भोर की ताजगी है तु
गुनगुनाती धुप और शाम की ठंडक है
चिड़ियों की चहचहाट और दीपक की लौ है तु
सपनो का एक चेहरा
मन का विश्वास है तु
और एक बात कहूँ
मेरे विश्वासों के दीये की लौ है तु
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