कदम रुकते नहीं

 खुशनुमा है जिंदगी 
कुछ बात होगी कहीं 
तु समर्पण लिख गया 
मैं नाम तेरे जिंदगी 

हों सदा दिन एक से 
ये नहीं माँगा कभी 
तु पास रहना मन सदा 
मैं साथ तेरे जिंदगी 

हर शाम की ताबीर हो 
ये जरूरी तो नहीं 
कोशिशें करना सदा 
मैं दौड़ लूँगा जिंदगी 

हो सदा सोचा सभी 
जानता मुमकिन नहीं 
सोच में रखना सदा 
मैं पा ही लूँगा जिंदगी 

साथ हो स्नेह जब 
तब कदम रुकते नहीं 
कह भी जाना बात सब 
मैं बाँट लूँगा जिंदगी 



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