अब भी स्नेह है
दो पहलू हैं दो छोर हैं
विकल्प हैं या जरूरी नहीं हैं
असमंजस की खींचा तानी
परवाह नहीं है या विश्वास है
विकल्प हैं या जरूरी नहीं हैं
असमंजस की खींचा तानी
परवाह नहीं है या विश्वास है
शुरुआत तुझसे हो कि मुझसे हो
भावनाओं के लिए ये जरूरी नहीं है
चुप था कि तब भी स्नेह था
कहना है सब कुछ कि अब भी स्नेह है
अभिमान नहीं खुद का भरोसा है तुझपर
व्यस्तता तुझतक है मुझसे नहीं
खुली किताब हैं राज मन में नहीं
जताया तो स्नेह है गुस्सा हैं वो भी स्नेह है
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