किरण
चमकता है तू जग रौशन
किरण है तु उम्मीदों की
नया सा एक जहां अपना
बसा ले एक जमीं अपनी
किरण है तु उम्मीदों की
नया सा एक जहां अपना
बसा ले एक जमीं अपनी
आ मिल जाय एक हो जा
संगम एक नदिया सी
बहेंगे संग मीलों तक
समुंदर राह जीवन की
वो जो पदचाप छोड़े हैं
छोरों पर समुन्दर के
किसी एक शाम लौटेगा
वो सपनो का शहर बनकर
हकों के रास्ते तय कर
चले हैं जिस डगर पर हम
कोई सुबह तो आएगी
आशाओं की किरण बनकर
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