थोडी सी
थोडी सी कुछ धूप पोटली
भरकर रख दूँ नाम तुम्हारे
ताखे रख दूँ उजले जुगनु
यादों की एक ग्येड बाँध लूँ
चाँद रहा है दूर सदा से
धरती छोर उम्मीद लगाये
जल जाये वो जुगनु बन लूँ
धूप पोटली काखे रख दूँ
मन्दिर की एक मूरत है तु
पुजुँ तुझको या सांसे रख दूँ
जीवन तेरे नाम लिखा दूँ
थोड़ी अपनी पहचान बचा लूँ
मन में रमा समां है तू ही
आवाज़ मनों की लौट के आये
शब्दों को परिभाषित कर दूँ
तुझमे अपनी साँस बसा दूँ
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