दिन तेरे बिन
जो दिन तेरे बिन गया
ठहरा सा जहाँ लगा
रातों की ख़ामोशी
सपनों का जहाँ ढला
ठहरा सा जहाँ लगा
रातों की ख़ामोशी
सपनों का जहाँ ढला
आजमाऊँ किसको मन मेरे
द्वंदों की आजमाइश में
रूकती सांसें ढूँढती
थमता सा समय लगा
साथ नहीं माँगा कोई
विकल्पों की तलाश नहीं
मन घोर अँधेरा फैला था
ख़ाली सा जहाँ लगा
तेरा जाने तु हमदम
गुजरा अब मेरा नहीं
ख़ामोशी तेरी तु जाने
मुझको मेरा डर रहा
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