मिलना था
एक लम्बी प्रतिक्षा थी तु
सफर की कमशमकश थी तु
मिले हैं अब कि सोच होगी विधाता की
इस साथ की जरूरत थी तु ।।
यूँ तो अकेले भी सफर तय हुऐ थे कई
पर एक सफर साथ की किस्मत थी तु
खोना पाना सब तय था मीलों पहले
मिलन के लहरों का समुन्दर थी तु
एक ठहरी सी जलधारा थी तु
हिमालय की आराधना थी तु
आना था जमीं पर तुझे मेरे लिए
मेरे अहसासों की मूरत है तु।
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