साथ
पैरों पर वो पैर रखकर चलता है दो कदम मेरे
देकर सारे सपने मुझको जीता जीवन संग मेरे
मुझसे लाखों गुस्सा होकर हो जाता है प्राण मेरे
सांसों में वो सांस रखकर सांसे जीता संग मेरे
रातें जगता संग मेरे आँखें मूंदता पूछ मुझे
देकर सारा समय वो अपना मुझमें जीता मेरे लिए
कर देता हर काम समय से समय निकालता मेरे लिए
मुझसे अक्सर गुस्सा होकर मुझे मनाता मेरे लिए
मिलना मुश्किल राह बताकर राह बनाता मेरे लिए
अपनों की सब सुनता जाता सहता रहता मेरे लिए
मुझसे कुछ भी मांग न रखता देता सबकुछ सौंप मुझे
मुझसे अक्सर दूर ही रहता रखता मन में पास मुझे
पैरों पर वो पैर रखकर चलता है दो कदम मेरे
मुझमे खोकर ढूंढा खुद को देता जीवन आस मुझे
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