बैरागी
मैं बैरागी ही रहूँगा
न चाह रही सम्मान की
न तेरे मोह की इच्छा
तुझ में खोकर
खुद को समर्पित
मुझे सच पर जीना होगा
तेरे मन की तु जाने,
मैं बैरागी ही रहूँगा
सोच रही दिनभर से तुझपर
न प्रश्न कोई पुछूँगा
न जताकर तुझपर अपना हक
तेरे नाम की धूनी रमूँगा
तेरे समय पे छोडा है तुझको
मै पलपल याद करूँगा
मैं बैरागी ही रहूँगा
इन्तजार सांसों का मेरी
न आस कोई पालूँगा
न जाऊँगा तेरी इच्छा पारे
महादेव से अरज करूँगा
तेरे निर्णय पर छोडा तुझको
मैं अक्षर सः निभाऊगाँ
मैं बैरागी ही रहूँगा
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