प्राण तु है
तेरे बिन जीवन रहा खाली एक जंजाल
तेरे संग जीवन बना कविता गीत समान
दो घाटों की दूरी पर बही है नदिया पार
एक पुल बनाकर भर गयी तु जीवन में अभिमान
कदमों को दिशा मिली मन को एक प्रवाह
रचता बसता तु गया पत्थर को जैसे प्राण
मन की दुविधा खडी रही सांसो को ठहराव
अब रंग ले मनरे तुझसे है जीवन की पतवार
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