उदासी
स्नेह के ख्यालों से
कब कौन उदास लगा है
ये बेचैंनी है जो चहेरे को
मायूस कर जाती है
एक तेरा होना ही
हर खुशी है मेरे जहां की
मैं परेशां हूँ कि गुस्सा हूँ
मन की रौनक तेरे नाम से है
उठता है भरोसा कभी जब
अपना कुछ कर न पाये
ये घडी परीक्षा की है
चल कुछ दूर साथ तो सही
रास्तों में धूप होगी
तो सुहानी शाम भी होगी
काखों पर रखी
यादों की कोई गठरी भी होगी
चल हंसकर करते हैं
तय रास्ते कुछ दूर
रास्ते की मंजिल भी तु है
और रास्तों के निशां भी तु
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