तरंग
शान्ती तु शुकून तु
मेरे मन का हर चैन तु
तु स्पर्श है अहसास का
तु बन्दगी मेरी सांसो की
तुझे देखूँ तो शूकून है
तुझे देखूँ तो शान्ती मेरी
छूँ लूँ तो तरंग है
साथ तु समर्पण भी तु
खुशी में तु तनाव में तु
जीवन के हर जज्बात में तु
पाना खोना रब के हवाले
मेरे स्नेह की मर्यादा है तु
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