तेरे साथ की
मैं गंगा सा प्रवाह चाहता हूँ
सदा मैं संग तेरे बहना चाहता हूँ
हो उत्तुगं शिखर कोई या गहरी सी कोई घाटी
मैं तुझमें बस के तेरा होना चाहता हूँ
मैं राह-ओ-राह भटकना चाहता हूँ
सदा मैं संग तेरे मंजिल चाहता हूँ
हो सबसे मुश्किल कोई या आसान सी हो कठिनाई
मैं तेरे नाम से तर जाना चाहता हूँ
मैं छन्द-ओ-गीत लिखना चाहता हूँ
सदा तेरी कहानी का किरदार चाहता हूँ
हो अधूरा या वो छोटा ही सही लेकिन
मैं तेरे साथ की सम्पूर्णता चाहता हूँ
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