अंश अंश
अहसास किया है मैंने बरखा की बूँदों का
रोआँ रोआँ सा देखा है काया के ठहराव का
पँखुडियों को छूआ है मन को टटोला है
रोम रोम अपना पाया तेरा समर्पण देखा है
गुदगुद सी परतों का मैनें रंग बदलते देखा है
रूखी साख पर मैंने कोंपल खिलते देखा है
निशां दिये हैं कई गर्भित अहसासो पर
अंश अंश अपना पाया तेरा स्नेह पाया है
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