जब भीगी थी
जब भीगे थे बारिश में
क्या याद हमारी आयी थी
'खन्दार' भरे कमरे में
क्या याद हमारी आयी थी
सावन झूले पतझड
बोर आम पर आयी थी
कलियां केसर बेल नवेली
तुलसी घर सज आयी थी
जब औढीं थी साडी नीली क्या याद हमारी आयी थी
सरसों से पीले खेतों में
क्या याद हमारी आयी थी
खाली खिडकी रस्ता देखे
नजर गढायें बैठी थी
बहता पानी सूखा झरना
हरी डाल खिल आयी थी
जब भीगी थी पलके गुमशुम क्या याद हमारी आयी थी
छाता औढे भीग रही जब
क्या याद हमारी आयी थी
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