मन महाभारत

कोई आँख लगे ही सो जाये 
कोई रात रातभर जग जायें
कोई वक्त मिले पर बात करे 
कोई वक्त वक्त पर बात करे
कोई सिमटी दुनियाँ रखता है 
कोई फैला आकाश समाये है
कोई जीवन संग में बाँध चला 
कोई अब भी डामाडोल लगा
वक्त सभी का जबाब लिए 
मन सबका हिसाब लिए
तेरे मन की तु जानें 
मैं जौहर आग लगाये लगाये हूँ
या कि अब रणभेदी है 
या साथ समर्पण हो जाये
तेरे मन की तु जाने 
मैं अर्धसत्य चक्रव्यूह लडूँ
तु तटस्थ रह बलदाऊ सा 
मैं एकपक्ष महाभारत लडूँ

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