वृतांन्त

कौन सका है बाँध वो खुशबू
कौन पवन को रोक सका
गुलमोहर से भरे रास्तों पर
कौन तुझे कब भूल सका
यादों की कविता लिखती है
दिन वो कौन अजान रहा
कौन समय जब दूर हुए हम
कौन समय अहसास जगा
कौन समय ठंण्डी काफी का
कौन समय गरमाहट थी
कौन समय वो हरियाली और
कौन समय आगोश बसी
देखो बढते से इन रास्तों पर
कब समय मिले कब मंजिल हो
चलते रहना साथ मुसाफिर
कौन कहाँ कब सांस थमे

Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

प्राण