हस्ताक्षर
गंगा की पावन धारा में एक गोता खाकर आया हूँ
हरसिंगार के फूलों की खूशबू में घुल आया हूँ
सांसों में सांसे देकर कुछ पल जीकर आया हूँ
मैं स्पर्शों के अहसासों पर हस्ताक्षर कर आया हूँ
कोमल से कुछ फूलों की पौध रोप कर आया हूँ
धरती में जो बीज पडें थे उन्हे जगाकर आया हूँ
स्मरण की आयामों का मन चित्र साथ में लाया हूँ
मैं स्नेह की गुफाऊ पर हस्ताक्षर कर आया हूँ
कविता की कुछ नई पंक्तियां शब्दों में लिख लाया हूँ
समर्पण की वही कहानी गहरी दोहराकर लाया हूँ
सपनों के ताने बानों को थोडा गहरा करके आया हूँ
मैं स्पर्शों के अहसासों पर हस्ताक्षर कर आया हूँ
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