आखिरी लक्ष्य

समर शेष का रण नही हो
भीतर लडता द्वंद नही हो
कुछ इच्छाईयां मरी नही हों
त्याग समर्पण किया नही हो
वो दीपक अधजले रह गये
मन अंधियारा जिससे न मिटा हो
तु साथ समर्पण करता आया
देह निशा का त्याग कर गया
जीवन मृत्यु साथ लिए तु
जन्मों का कोई साथ दे गया
तु मन का आखिरी लक्ष्य रह गया
तुझ संग जीवन जीतता देखा

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