बंजर जमीं

 सूखे ठूँठ पर आखिरी कोपल 
अस्थि चिता में खाक सी 
 भंडार में  बीज मृतक 
वजूद की एक लड़ाई सी 

तमन्नाओं के आसमान पर 
एकटक बंजर जमीं सी 
रेत पर गोते खाती
आस की एक उम्मीद सी 

अभिमन्यु सा जीवन 
कर्ण की पहचान सी  
महाभारत का रण लड़ती 
बर्बरिक की आँखें सी 

Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

कल्पना की वास्तविकता