सीमित

वो दो शब्द शुकून देते हैं
कि छोटा सा ही सही 
भावनाओं की क़द्र तो है 

सीमित थोड़ा सा ही सही
बाँटना अच्छा लगता है 
संवेदनाओं की पहचान तो है

किंचित लेषमात्र ही सही 
स्नेह अच्छा लगता है
कि कहीं अपनापन तो है 

तनिक ठहरता तो सही 
मुड़कर अच्छा लगता है 
कि कहीं इन्तज़ार तो है 



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