परेशान

बादल गरज रहै हैं 
मस्जिदों की अजान में 
भीगी सी कोई चिड़िया 
ओट की लताश में है
फिर जाने क्यों लगा
कि तु कुछ परेशान सा है 

दीये की लौं लहर रही है
बन्द खिड़की दरवाज़ों में 
झुकी सी किसी डाली पर
बूँद गिरने को सहमी है 
फिर न जाने क्यूँ लगा 
कि तु कुछ परेशान सा है

बच्चों का शोर थमा सा है
छूट्टी के इस इतवार में 
खिले फ़ूल की पंखुड़ियाँ 
गिरने को तैयार हैं
फिर न जाने क्यूँ लगा
कि तु कुछ परेशान सा है 

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