जब तु नहीं है
जब तु नहीं है तो कोई बात भी नहीं है
ख़ामोशी का आलम है रात और अँधेरी हो जाती है
जब तु नहीं है तो हर काम भी अधूरा है
आखें पढ़ती है कुछ अंगुलियां कुछ और लिख जाती हैं
जब तु नहीं है तो सांसें भी बिचलित है
धड़कती हैं मन में मेरे और सोच कहीं और जाती है
जब तु नहीं है तो नींद भी नहीं है
आखें बंद होती नहीं और सपना दिखा जाती हैं
जब तु नहीं है तो वो स्पर्श भी नहीं है
मखमल की जमीं भी पथरीली सी लगती है
जब तु नहीं है तो इर्द गिर्द कुछ नहीं है
छोटे से इस बगीचे में भी एक मरुभूमि लगती है
जब तु नहीं है तो जीवन भी नहीं है
सांसों की खैरात में भावनाओं की मौत लगती है
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