आधे की उम्मीद

 कुछ खुली है बंद किताबें 

आशाओं के द्वार खुले 

हर पन्ने पर साथ दिखा 

और कहती सी तस्वीर लगी 


सूखे फूल खिले कुछ ऐसे 

अँधेरे जग में आस जगी 

स्नेह रहा सब और वहाँ है 

और अपनों सी एक पीड़ रही 


कुछ बातों का दौर चला है 

सच आया है आज निखरकर 

हर शब्दों का इतिहास रहा 

और अपनी सी ताबीर लगी 


लम्बा रास्ता तय करना है 

मंजिल की कोई ठौर नहीं 

हर कदम तू  साथ लगा है 

और आगे की एक दौड़ लगी 


मन का अब विश्वास बढ़ा है 

दिशाहीन परप्रीत नहीं 

आधा तुमको  पाया है 

और आधे की उम्मीद रही 

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