अपूर्णता
ये अपूर्णता है जीवन की
जो पूर्ण मुझे कर जाती है
सम्पूर्ण समर्पण आकांक्षा वो
विश्वास बढ़ा सा जाता है
जो पूर्ण मुझे कर जाती है
सम्पूर्ण समर्पण आकांक्षा वो
विश्वास बढ़ा सा जाता है
कुछ मिलता सा कुछ खोता सा
एक द्वन्द सदा से जीता हूँ
सालों के इस जीवन में
ये सार्थक साल समझता हूँ
स्नेह किया परिभाषित है
एक मारे डर के साये हूँ
जो पा सा लिया अमूल्य है
बस अब खोने से डरता हूँ
एक कविता सा रचता सागर
एक यादों की परिछायी
एक मीरगतृष्णा सी जीवन की
मैं दौड़ लगाए बैठा हूँ
पथिक सदा लक्ष्यों तक कब है
कुछ राह सुहानी होती हैं
कुछ चलता है साथ साथ
कुछ जीवन की तन्हाई है
रे-मन कहता निर्णय तेरा
साथ चुने या तन्हाई
छोटा सा ये मन हैं मेरा
छोटी तुझसे रुस्वाई
"हो अपूर्णता जीवन की
ये पूर्ण मुझे कर जाती है"
सम्पूर्ण समर्पण आकांक्षा तु
विश्वास बढ़ा सा जाता है
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