सदा तकता रहा
घोर काली रात बदरा
आसमां रोता लगा
सोचता तुझको रहा
और मन यहाँ विचलित रहा
आसमां रोता लगा
सोचता तुझको रहा
और मन यहाँ विचलित रहा
दर्द की रातें कराही
या अगन हो देह की
मांगता तुझको रहा
और मन इरादा कर गया
एक तु जो तान छोड़े
या तेरी मजबूरियां
ये बजूं तुझ तक रहा
और मन सहमता ही गया
बेमेल से जो हम मिले हैं
अब दूरियां सहती कहाँ
हक़ दिया है यूँ तुझे ही
और मन सदा तकता रहा
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