समा जाओ

तु भक्ति दे तु शक्ति दे
तु शान्ति का संगीत दे 
तु साथ दे स्नेह दे 
करुणामयी एक गीत दे

तु रात का जुगनू बने
तपती दुपहरी छाँव दे
सुनसान राहों साथ दे
तु मौन का स्नेह दे 

तु हाथ अंगुली पकड दे
तु छोड सारा शहर दे 
मुझमें समा मेरा रहे
तु स्वरों को शब्द दे

तु अक्षर मेरी प्रीत का
तु सांस आखिरी मीत का
अभिचेतन मन की आरजू
तु स्वरूप देता जीवन दे

तु रात का गहरा नशा
दिन का समर्पित साथ दे
खोया रहे मुझमे सदा
तु अब साथ में समा मेरे 


Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

कल्पना की वास्तविकता