सर्वस्व

कुछ बातें अधूरी  
छोड़ना ही अच्छा 
कुछ ख़्बाव अधूरे 
ही रखना अच्छा
मैं मुतमइन था हर 
अनकही बात पर
कुछ बातों को मन 
में रखना ही अच्छा 

कुछ सीमान्त दायरों 
में बँधना ही अच्छा 
कुछ निष्कर्षों पर 
न पहुँचना ही अच्छा 
ये तय था हर 
मक़ाम पर ऐ! ज़िन्दगी 
कुछ यूँही पा जाना 
फिर सर्वस्व हार जाना 




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