तेरी तरह

पहाड की बर्फ़ीली हवाओ में,

मन्द पवन से तेरे झोंकें ,

तुझ तक ले जाते है,

जानता हूँ तुझे परवाह नहीं,

तो क्या मै भी तेरे जैसे हो जाऊँ?

Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

कल्पना की वास्तविकता