कपोल

स्नेह की नमी मिले 
गम्भीरता का साथ हो 
हँसना इतना भी मुश्किल नहीं 
झुरमुटों की छांव मे बढ़ती हुई कपोल हूँ 
.........
घरों से दूर हम जो हैं 
मनो का दूर एक रिश्ता हो
यकिं तुझपे इतना मुश्किल भी नहीं
तेरे सहारे बढ़ती एक बेल हूँ ......

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